वैसे तो भगवान ही भक्तों की झोली भरते हैं लेकिन अगर भगवान को चढ़ावा
चढ़ाने की बात हो तो भक्त भी पीछे नहीं रहते. शिरडी के साईं बाबा के मंदिर
में भक्तों ने दस दिन में चढ़ाया है साढ़े चौदह करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा.
आस्था का सैलाब उमड़ा तो साईं के दर पर दौलत की बरसात हो गई. किसी ने रुपये चढाए तो किसी ने चढ़ाया सोना-चांदी.
साईं के ख़ज़ाने में विदेशी नोटों का भी लग गया अंबार. दौलत की ऐसी बरसात हुई कि गिनने वालों के हाथ थक गए. नोटों की गिनती के लिए मशीनों से मदद ली जाने लगी और लग गया गड्डियों का अंबार.
भक्तों ने सोने-चांदी के ज़ेवर भी दिल खोलकर चढ़ाए. भक्तों ने अपने भगवान को एक किलो सोना और तेरह किलो चांदी के ज़ेवरात चढ़ाए. चढ़ावों की गिनती हुई तो आंकड़ा चौदह करोड़ साठ लाख रुपये तक पहुंच गया. खास बात ये है कि भक्तों ने साईं को करोड़ों की ये दौलत बीते साल के 24 दिसंबर से इस साल 2 जनवरी यानी महज़ दस दिनों में चढ़ाई है.
पिछले साल की इन्हीं तारीखों के बीच चढ़ाए गए चढ़ावे के मुकाबले ये करीब साढ़े तीन करोड़ ज्यादा है. वो साईं जिसने जिंदगी भर पैसों को तिनके से ज्यादा तरज़ीह नहीं दी, अपना जीवन फकीरों की तरह बिताया. भक्तों ने उसी साईं पर चढ़ावों की बरसात कर दी. लेकिन जब आस्था का सैलाब उमड़े तो किसी का ज़ोंर कहां चलता है.
आस्था का सैलाब उमड़ा तो साईं के दर पर दौलत की बरसात हो गई. किसी ने रुपये चढाए तो किसी ने चढ़ाया सोना-चांदी.
साईं के ख़ज़ाने में विदेशी नोटों का भी लग गया अंबार. दौलत की ऐसी बरसात हुई कि गिनने वालों के हाथ थक गए. नोटों की गिनती के लिए मशीनों से मदद ली जाने लगी और लग गया गड्डियों का अंबार.
भक्तों ने सोने-चांदी के ज़ेवर भी दिल खोलकर चढ़ाए. भक्तों ने अपने भगवान को एक किलो सोना और तेरह किलो चांदी के ज़ेवरात चढ़ाए. चढ़ावों की गिनती हुई तो आंकड़ा चौदह करोड़ साठ लाख रुपये तक पहुंच गया. खास बात ये है कि भक्तों ने साईं को करोड़ों की ये दौलत बीते साल के 24 दिसंबर से इस साल 2 जनवरी यानी महज़ दस दिनों में चढ़ाई है.
पिछले साल की इन्हीं तारीखों के बीच चढ़ाए गए चढ़ावे के मुकाबले ये करीब साढ़े तीन करोड़ ज्यादा है. वो साईं जिसने जिंदगी भर पैसों को तिनके से ज्यादा तरज़ीह नहीं दी, अपना जीवन फकीरों की तरह बिताया. भक्तों ने उसी साईं पर चढ़ावों की बरसात कर दी. लेकिन जब आस्था का सैलाब उमड़े तो किसी का ज़ोंर कहां चलता है.
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